अल्लाह तआला को किसने पैदा किया ?
अल्लाह तआला को किसने पैदा किया ?
ग़ैर-मुस्लिमों की तरफ से यह सवाल करना उसुली तौर पर ग़लत है, वह इसलिए कि अगर मिसाल के तौर पर यह मान लिया जाए कि अल्लाह तआला का कोई ख़लिक़ है तो सवाल करने वाला कहेगा कि ख़ालिक़ को किसने पैदा किया ? फिर पैदा करने वाले के ख़ालिक़ को किसने पैदा किया ? तो इस तरह एक ऐसा सिलसिला चल निकलेगा जिस की कोई सीमा नहीं है। तो यह अक़ली तौर पर भी ग़लत है।
तो यह कहना कि मख़लुक़ हर चीज़ के ख़ालिक़ पर जाकर ख़तम हो जाएगा और इस ख़ालिक़ को किसी ने पैदा नहीं किया बल्कि वह अपने सिवा सब का ख़ालिक़ है तो यह अक़ली तौर सही है और वह ख़ालिक अल्लाह तआला है।
शरअी और हमारे दीनी ऐतबार से तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें इस सवाल के बारे में बताया है कि यह सवाल कहाँ से निकला और आया और इस का इलाज और जवाब क्या है।
हजरत अबु हुरैरा रज़ि. बयान करते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
“لا يزال الناس يتساءلون حتى يقال هذا خلق اللهُ الخلقَ ، فمن خلق الله ؟ فمن وجد من ذلك شيئا فليقل آمنت بالله”
“हमेशा ही लोग एक दूसरे से सवाल करते रहेंगे यहाँ तक कि ये कहा जाएगा ये अल्लाह तआला ने पैदा किया है तो अल्लाह को किसने पैदा किया ? तो जो शख़्स ऐसा (अपने ज़हन में) पाए वह यह कहे मैं अल्लाह तआला पर ईमान लाया”
और रसूल्लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि ने फरमाया:
“يأتي الشيطانُ أحدَكم فيقول من خلق السماء ؟ من خلق الأرض ؟ فيقول : الله ، – ثم ذكر بمثله – وزاد : ” ورسله “”
“तुम में से किसी एक के पास शैतान आकर कहता हैं आसमान किस ने पैदा किया? ज़मीन किस ने पैदा की? तो वह कहेगा कि अल्लाह तआला ने, फिर इस तरह ही(पहले वाली हदीस की तरह) ज़िक्र किया और “और उसके रसूलों” का इज़ाफा किया (यानि, आमन्तु बिल्लाहि व रसूलिही)।“
और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है :
“يأتي الشيطانُ أحدَكم فيقول من خلق كذا وكذا ؟ حتى يقول له من خلق ربَّك ؟ فإذا بلغ ذلك فليستعذ بالله ولينته”
“तुम में से किसी एक के पास शैतान आकर कहता है कि यह-यह चीज़ किस ने पैदा की है यहाँ तक कि वह उसे कहता है कि तेरे रब्ब को किसी ने पैदा किया ? तो जब मामला यहाँ तक पहुँच जाए तो वह अल्लाह तआला की पनाह माँगे और उस से रूक जाए”
और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि ने फरमाया:
“يأتي العبد الشيطان فيقول من خلق كذا وكذا ؟ ..”
“शैतान बन्दे के पास आकर कहता है उसको किस ने पैदा किया ?” [इन सब हदीसों को इमाम मुस्लिम ने रिवायत किया है, 134]
तो इन सब हदीसों में निम्न बातें बयान की गई है :
इस सवाल की जड़ और पैदा होने की वजह शैतान है।
इसका इलाज और जवाब यह है कि:
1. आदमी इन खतरों और शैतान की हक़ीक़त को पहचाने और इनके पिछे चलना बन्द करे
2. और वह यह कहे कि मैं अल्लाह तआला और उस के रसूल पर ईमान लाया।
3. और शैतान से अल्लाह तआला की पनाह तलब करे ।
और हदीस में तीन तरफ तीन बार थुकने और सूरह इख़्लास (क़ुल हुव अल्लाहु अहद) पढ़ने का भी आया है।
4. और रहा ये बात कि अल्लाह तआला का पहले से मौजूद होना तो उस के बारे में हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दी हुई ख़बरें हैं :
I. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का ये कथन कि
“اللهم أنت الأول فليس قبلك شيء ، وأنت الآخر فليس بعدك شيء “
” ऐ अल्लाह तु अव्वल है तुझ से क़ब्ल कोई चीज़ नहीं और तु आख़र है तेरे बाद कोई चीज़ नहीं“। [सहीह मुस्लिम, हदीस-2713]
II. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह इरशाद :
“كان الله ولم يكن شيء غيره”
“अल्लाह तआला था तो उस के अलावा कोई चीज़ नहीं थी “
और एक रिवायत में है कि
“ولم يكن شيء قبله”
“और उस से पहले कोई चीज़ नहीं थी।”
[पहली हदीस, सहीह बुख़ारी, हदीस-3020,दूसरी रिवायत सहीह बुख़ारी(6982) ]
इस इज़ाफे के साथ जो कि इस विषय में क़ुरआन करीम में आयतें बयान की गई हैं ।
तो मोमीन को चाहिए कि वह ईमान लाए और शक़ न करे और काफिर इन्कार करता और मुनाफिक़ शक व शुबा रखता है, हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि व हमें ऐसा सच्चा ईमान और यक़ीन दे कि जिस में किसी क़िस्म का शक न
हो ।(आमीन)
और अल्लाह तआला ही तौफीक देने वाला है।
और अल्लाह तआला ही बेहतर इल्म वाला है।