शराब़ सब बुराईयों की जड़
शराब़ सब बुराईयों की जड़
सब तारीफें अल्लाह तआला के लिए हैं।
बेशक, अल्कोहल (शराब) नशे वाली चीज़ है , और उसके अन्दर ऐसी चीज़ पायी जाती है जो अक़्ल ख़राब कर देती है। और हदीस शरीफ में आया है :
“हर नशे वाली चीज़ ख़म्र है और हर ख़म्र हराम है।”
अक़्ल पर पर्दा डालने वाली चीज़ को शराब व ख़म्र कहा जाता है। अगर मामला ऐसा ही है तो फिर यह हराम शूमार होगी और ख़म्र के मआनी में शामिल हो गई जो लज़्ज़त या तसल्ली के लिए पी जाती है। अल्लाह तआला ने इसे हराम किया है, और फिर अल्लाह तआला ने इसके बारे में बताया है कि यह गुनाह है। अल्लाह तआला का फरमान है :
يَسْأَلونَكَ عَنِ الْخَمْرِ وَالْمَيْسِرِ قُلْ فِيهِمَا إِثْمٌ كَبِيرٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَإِثْمُهُمَا أَكْبَرُ مِنْ نَفْعِهِمَا
“लोग आप(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से शराब और जुअे के बारे में पूछते हैं, आप कह दीजिए इन दोनों में बहुत बड़ा गुनाह है और लोगों को इसका दुनियावी फायदा भी होता है, लेकिन उन का गुनाह इस के नफा से बहुत ज्यादा है।” [ सूरह अल्-बक़रह, आयत-219]
अल्लाह तआला का फरमान है :
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّمَا الْخَمْرُ وَالْمَيْسِرُ وَالأَنْصَابُ وَالأَزْلامُ رِجْسٌ مِنْ عَمَلِ الشَّيْطَانِ فَاجْتَنِبُوهُ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ * إِنَّمَا يُرِيدُ الشَّيْطَانُ أَنْ يُوقِعَ بَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاءَ فِي الْخَمْرِ وَالْمَيْسِرِ وَيَصُدَّكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللَّهِ وَعَنِ الصَّلاةِ فَهَلْ أَنْتُمْ مُنْتَهُونَ
“ऐ ईमान वालों ! बात यही है कि शराब और जुआ और थान और फाल निकालने के पांसे के तीर ये सब कुछ गन्दी बातें शैतानी काम हैं इनसे बिल्कुल अलग रहो ताकि तुम कामियाबी हासिल कर लो, शैतान तो यही चाहता है कि शराब और जुअे के ज़रिए तुम्हारी आपस में दुश्मनी और नफरत डाल दे,और अल्लाह तआला की याद और नमाज़ से तुम्हें भूला दे, लिहाज़ा अब भी बाज़ आ जाओ ।”
[सूरह मायदा,आयत-90-91]
इमाम क़ुर्तुबी रहिमहुल्लाह फरमाते हैं :
“ قوله: ( فاجتنبوه ) يقتضي الاجتناب المطلق ، الذي لا ينتفع معه بشيء بوجه من الوجوه ، لا بشرب ، ولا بيع ، ولا تخليل ، ولا مداواة ، ولا غير ذلك ”
“فاجتنبوه से मुराद पूरी तरफ से परहेज करना है, इसलिए शराब किसी भी तरीके से इस्तेमाल नहीं हो सकती चाहे वह पीने के लिए, बेचने के लिए,या सिरका बनाने के लिए या दवाई व इलाज इत्यादि के तौर पर।”
[अल्-जामी, लि-अह्काम अल्-क़ुरआना, 6/289]
फतावा अल्-लजनाह अद्-दाईमाह (22/124) में कहा गया है :
” لا يجوز وضع شيء مما يُسكر فيما يراد استعماله دواءً ، أو طعاماً ، أو شراباً ، ولا فيما يُراد استخراج الطعام والشراب أو الإدام منه ، سواء كان ذلك المسكر نبيذاً أم بيرةً أم غيرهما ”
“कोई भी चीज़ जो नशे की हालत पैदा करती है उसको किसी भी खाने-पीने,दवाई,मसाले या कोई भी चीज़ जिससे खाने की चीजें बनाई जाती हों, उन में मिलाने की इजाजत नहीं है।”
शराब पीने में बहुत से नुक़्सान पाए जाते हैं जो यक़ीनी हैं और उनके बारे में रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया :
” الخمر أم الخبائث ”
“शराब सब बुराईयों की जड़ हैं” [सिलसिला सहीहा, हदीस-1854]
और रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :
“الخمر أم الفواحش ، و أكبر الكبائر، من شربها وقع على أمه وخالته وعمته”
“शराब सब बुराईयों की जड़ है,और कबीरा(बड़े) गुनाहों में से है, इसे जो कोई भी पीता है वह अन्त में अपनी माँ,ख़ाला और फूफी के साथ जिना तक पहूँच सकता है।” [सिलसिला हदीस सहीहा, हदीस-1853]
हजरत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया:
“शराब पीने से बचो क्योंकि यह बुराईयों की जड़ है, तुम से पहले एक इबादत गुज़ार शख़्स था, उस से एक बदकार औरत को मोहब्बत और ईश्क हो गया, तो उस ने अपनी लौण्डी को उस इबादत गुज़ार के पास भेजा और उसे कहा कि हम तुम्हें गवाही देने के लिए बुला रहे हैं, तो वह उस लौण्डी के साथ गया, और जब वहाँ पहुँचा तो और जिस दरवाजे से भी अन्दर दाख़िल होता तो वह उस के पीछे दरवाज़ा बन्द कर दिया जाता, यहाँ तक कि वह एक बहुत ही बूरी और बदकार औरत के पास पहुँचा जिस के पास एक बच्चा और शराब का बर्तन रखा था,तो वह औरत उसे कहने लगी,अल्लाह की कसम मैं ने तुझे,गवाही देने के लिए नहीं बुलाया,बल्कि इसलिए बुलाया है कि या तो तुम मेरे साथ बुराई करो, या फरि शराब का एक गिलास पियो, या फिर इस बच्चे को क़त्ल कर दो।
तो उस व्यक्ति ने कहा मुझे यह शराब का एक गिलास पिला दो तो उस औरत ने उस व्यक्ति को एक गिलास पिलाया,वह कहने लगा मुझे और दो, तो वह और पीता रहा यहाँ तक कि उस औरत के साथ ज़िना भी किया,और उस बचे को भी क़त्ल कर दिया।”
इसलिए तुम शराब से बचो ,क्योंकि अल्लाह की क़सम, ईमान और शराब नोशी की आदत इकट्ठी नहीं हो सकती,बल्कि अंदेशा यह है कि उन दोनों में से कोई एक दूसरे को उस से निकाल देगा।
[सुनन नसाई,हदीस-5666,सहीह]
और जब गुनाह मौजूद हैं, और वह बड़ा और ज़्यादा है तो फिर यह हराम है, और बेशक़ यह अल्कोहल अक़्ल और जिस्म के लिए भी बूरी और नुकसान पहुँचाने वाली है, और अल्लाह तआला ने हर वह चीज़ हराम की है जो बदन और अक़ल के लिए नुक़सान पहुँचाने वाली हो और होश हवास को तबाह करे और हर वह चीज़ जिस में इन्सान को नुक़्सान और तक़्लीफ हो उसको करना जायज़ नहीं। क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है:
“और तुम अपने आप को क़त्ल मत करो”
अल्लाह तआला का फऱमान है :
“और अपने हाथों को हलाकत में मत डालो”
और इसलिए भी कि यह माल और दौलत बर्बाद करने का ज़रिया है और इसमें फिज़ूल खर्ची भी है इसलिए यह नीचे दिए गए अल्लाह तआला के फरमान में शामिल होता है :
“बेशक फिज़ूल ख़र्च शैतान के भाई हैं।”
एक सहाबी तारिक़ बिन् सुवैद रज़ियल्लाहु अन्हु नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आए और शराब के बारे में सवाल किया तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें शराब से मना किया तो वह कहने लगे मैं इसे दवा और इलाज के लिए तैयार करता हूँ, तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :
“إنه ليس بدواء ، ولكنه داء”
“यह दवाई और इलाज नहीं लेकिन एक बीमारी है।”
अल्लाह तआला का फरमान है :
“يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لا تَتَّبِعُوا خُطُوَاتِ الشَّيْطَانِ وَمَنْ يَتَّبِعْ خُطُوَاتِ الشَّيْطَانِ فَإِنَّهُ يَأْمُرُ بِالْفَحْشَاءِ وَالْمُنْكَرِ وَلَوْلا فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهُ مَا زَكَى مِنْكُمْ مِنْ أَحَدٍ أَبَداً وَلَكِنَّ اللَّهَ يُزَكِّي مَنْ يَشَاءُ وَاللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ“
“ऐ ईमान वालों ! शैतान के कदम ब कदम न चलो,जो शख़्स शैतानी कदमों की पैरवी करे, तो वह बे हयाअी और बूरे कामों का ही हुक्म करेगा, और अगर तुम पर अल्लाह तआला का फज़्ल व करम न होता तो तुम में से कोई भी कभी पाक-साफ न होता, लेकिन अल्लाह तआला जिसे चाहता है पाक कर देता है और अल्लाह तआला सुनने वाला और जानने वाला है ।” [सूरह नूर, आयत-21]
यदि दवाई में मिला हुआ अल्कोहल की मात्रा इतनी है कि इस दवा को ज्यादा मात्रा में पीने के बाद आदमी नशे की हालत में हो जाए तो इसको पीना और पीलाना हराम है, क्योंकि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिस चीज़ की ज्यादा मात्रा पीने से नशा होता हो उसकी छोटी मात्रा भी हराम है।” [सहीह अल्-जामी, हदीस-5530]
यदि वह नशे वाली नहीं है तो इसको देना और शरीर पर लगाया जा सकता है।
शराबी की सज़ा
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :
” مَنْ شَرِبَ الْخَمْرَ فِي الدُّنْيَا ثُمَّ لَمْ يَتُبْ مِنْهَا حُرِمَهَا فِي الآخِرَة ”
“जिस ने दुनिया में शराब पी और उस से तौब नहीं की तो आख़िरत में उस से महरूम रहेगा ।” [सहीह बुख़ारी, हदीस-5147, सहीह मुस्लिम, हदीस-3736]
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
“لَعَنَ اللَّهُ الْخَمْرَ وَشَارِبَهَا وَسَاقِيَهَا وَبَائِعَهَا وَمُبْتَاعَهَا وَعَاصِرَهَا وَمُعْتَصِرَهَا وَحَامِلَهَا وَالْمَحْمُولَةَ إِلَيْهِ ”
“शराब पर और उसके पीने वाले पर,और शराब पिलाने वाले,और शराब बेचने वाले,और शराब खरीदने वाले,और शराब बनाने वाले,और शराब उठाने वाले और जिस की तरफ उठा कर ले जाए, सब पर अल्लाह तआला की लानत है।” [सुनन अबु दाऊद, हदीस-3189, शैख़ अल्बानी ने सहीह करार दिया है]
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
” لا يَشْرَبُ الْخَمْرَ رَجُلٌ مِنْ أُمَّتِي فَيَقْبَلُ اللَّهُ مِنْهُ صَلاةً أَرْبَعِينَ يَوْمًا ”
“मेरी उम्मत में जो भी शराब पीता है,अल्लाह तआला उसकी चालीस दिनों तक नमाज़ क़बूल नहीं फरमाता” [सुनन निसाई, हदीस-5570, सिलसिला सहीहा-709]
इस हदीस का अर्थ यह है कि उसे नमाज़ का अज्र और सवाब हासिल नहीं होगा, यह नहीं कि उस पर नमाज़ पढना वाजिब नहीं बल्कि उसे सब नमाज़ों की पाबन्दी वाजिब है,अगर उस ने उस वक़्त एक नमाज़ भी छोड़ी तो वह कबीरा गुनाहों में एक कबीरा और बड़ा गुनाह करने वालो में होगा, यहाँ तक की कुछ उलमा किराम ने उसे कुफ्र तक पहुँचाया है। अल्लाह तआला हम सब की इससे हिफाजत फरमाए।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
“مُدْمِنُ الْخَمْرِ كَعَابِدِ وَثَنٍ”
“शराब पीने का आदत वाला शख़्स बुतपरस्ती करने वाले की तरह है।” [सुनन इबने माजा, हदीस-3375,शैख़ अल्बानी रहि. ने हसन कहा है]
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
“لا يدخل الجنة مُدمن خمر”
“शराब पीने की आदत वाला शख़्स जन्नत में दाख़िल नहीं होगा” [सुनन इब्न माजा,हदीस-3376,शैख़ अल्बानी रहि. ने सहीह कहा है]
शराबी को सज़ा देने के मामले में उलमा का इत्तिफाक़ है कि शराबी को कोड़े मारे जाएँगे, इसका सबूत नीचे वाली हदीस में है कि
“عَنْ أَنَسٍ رضي الله عنه : أَنَّ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم : جَلَدَ فِي الْخَمْرِ بِالْجَرِيدِ وَالنِّعَالِ”
“अनस रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने शराबी को खजूर की टहनी और जूतों से सज़ा दी।” [सहीह मुस्लिम, हदीस-3281]
शराबी को कोड़े मारने की संख्या में उलमा का इख्तिलाफ है, ज्यादातर उलमा का कहना है कि शराबी को 80 कोड़े मारे जाएंगे और उस के अलावा के चालीस मारे जाएंगे। उन्होंने हज़रत अनस रजियल्लाहु अन्हु की पिछली हदीस से अपना फतावा दिया है, इस हदीस में है कि
“रसूलु्ल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास एक शख़्स को लाया गया, उस ने शराब पी रखी थी तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसे दो छड़ियों से चालीस कोड़े लगाए,रावी कहते हैं कि अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने भी ऐसे ही किया और जब उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का दौर था तो उन्होंने लोगों से मशवरह किया तो अब्दुर्रहमान रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि हदुद में कम से कम अस्सी हैं तो उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने इसी का हुक्म दिया”
और सहाबा किराम में से किसी ने इसका विरोध नहीं किया बल्कि सबने सहमति जताई। बड़े विद्वानों ने मिलकर यह फैसला किया है कि “शराब पीने की सज़ा है और यह सज़ा अस्सी कोडे़ हैं।” कई विद्वानों ने जैसे इब्न क़ुदामा रहिमहुल्लाह और शैख़ इब्न तैमिय्या ने अल्-अख़्तियारात में यह राय अपनायी है कि चालीस से ज्यादा का फैसला इमाम-उल्-मुसलिमीन यानि हुक्मरान के अधिकार में है,अगर वह चालीस से ज्यादा की जरूरत महसूस करता है जैसा कि उमर रज़ियल्लाहु अन्हु के दौर में था तो वह अस्सी कोड़े तक सज़ा बढ़ा सकता है। [तौज़िह अल्-अहकाम, 5/30]
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